Tuesday, July 20, 2010

अमेरिकेन चाय




इस आर्टिकल की हेडलाइन पढ़ कर आप सोच रहे होंगे के एक तो अमेरिकेन और उसके ऊपर से चाय। ये कैसा मिश्रण है ? तो भैया ऐसा है कि अमेरिकेन और चाय ये दोनों यहाँ नए ज़माने के है। चाय जिसे भारत कि खोज कहा जाता है, आज अमेरिकियो की मेज़ की शोभा बढ़ा रही है। अमेरिका में अधिकतर पेय पधारतो में या तो कोकाकोला, पेप्सी जैसे पेय होते है या अगर तरोताज़ा होना हो तो कॉफ़ी। चाय तो अमेरिकी जानते भी नहीं थे। मगर वक़्त ने कुछ ऐसी करवट ली की आज अमेरिकी बड़े स्वाद के साथ चाय का लुत्फ उठाते है। वक़्त तो वक़्त है, जब करवट लेता है तो पूरी दुनिया में। ऐसा तो है नहीं की वक़्त ने सिर्फ अमेरिका में ही करवट लिया और हिंदुस्तान में नहीं लिया। और भारत में चाय के मामले तो माशअलाह ऐसी करवट ली की मत पूछो, चाय का सबसे ज्यादा सेवन करने वाले देश ने ही चाय को ज़हर बता कर देश निकाला जैसे स्तिथि पैदा कर दी। कुछ सरफिरो ने हिंदुस्तान में यह बात उड़ा दी की चाय में कैफीन नामक ज़हर होता है। तो मिया कोई इनसे ये सवाल तो पूछे के भैया पिछले १०० सालो से भी ज्यादा से जब भारतीयों को चाय पीते कुछ नही हुआ तो अब क्या होगा ? हो सकता है ये वैज्ञानिक हो जिन्होंने ये बात कही हो, मगर मै इन्हें सरफिरा इसलिए कह रहा हु क्योंकि इन्होने हिंदुस्तान से उसकी सुबह कुशनुमा और शाम को तरोताज़ा करने वाली चीज़ हिन्दुस्तानियों से दूर की। और इसका नतीजा ये हो गया के आज अमेरिकियो की कॉफ़ी हम बड़े चाव से पीते है और अमेरिकी हमारी चाय को चुस्की मार-मार के हमे चिढाते है। चुस्की से याद आया, चाय को पीते वक़्त चुस्की लेके पीने का अपना अलग ही मज़ा होता था। गरमा-गरम चाय साथ में डुबाने के लिए बिस्कुट या फिर चाय का स्वाद बढ़ाने के लिए भजिये। अब इन चीजों का मज़ा कहा ? अब साहब आप ही बताइये के इन चीजों का मज़ा भला कॉफ़ी के साथ संभव है क्या ?? नहीं ना !

जब हम चाय पीते थे तो कप हुआ करते थे, पर अब कॉफ़ी के लिए मग हुआ करते है और उसमे भी नयी टेकनोलोजी की बदौलत अपनी या अपनी फैमिली की फोटो मग में लगा सकते है। चाय के कप की तो बात ही अलग होती थी। छोटी सी कप, उसमे तरह-तरह के डिजाइन्स, वाह ! देख के ही दिल खुश हो जाए। हालांकि कुछ कर्मठ लोगो ने, लोगो को चाय की ओर आकर्षित करने के लिए चाय की कई वैराइटीस बाज़ार में उतारे। मसलन येल्लो टी, वाईट टी, हर्बल टी....इत्यादि। मगर ये सारी चाय कुछ खास लोगो तक ही सिमित रह गयी। आम लोग आज भी संपूर्ण भारतीय रेड टी पीकर ही खुश है जैसे "मै", एक आम आदमी, एक आम सा
आर्टिकल "अमेरिकेन चाय " की चुसकिया लेकर लिखते हुए खुश हु.............................................................. :-)

अनुपम दान

Monday, July 19, 2010

रूपए का मूल्य



रूपए का मूल्य

हिंदुस्तान, एक ऐसा देश है जहा प्यार है, भाईचारा है और सबसे बड़ी चीज़ आगे बढ़ने की ललक है। आज हिंदुस्तान की आर्थिक स्तिथि में जिस तेज़ी क साथ सुधर हुआ है, शायद ही इतनी तेज़ी से किसी दूसरे देश में हुआ हो। आज से कुछ समय पहले जब पूरे विश्व में आर्थिक मंदी ने लोगो की कमर तोड़ दी थी और कई देशो को कंगाली की राह पर खड़ा कर दिया, उस समय जो निष्ठा और हिम्मत भारत ने दिखाई, उसे देख बड़े-बड़े समृद्ध देश भी सोचने पर मजबूर हो गये। आज भारत एक ऐसे मुकाम पर खड़ा है जहा बड़ी सी बड़ी कंपनी अपने पैर जमाना चाहती है। भारत ने भी दिलेरी दिखाते ही हर कंपनी का स्वागत बड़ी जोशखरोश के साथ किया। आज भारत में शायद ही कोई ऐसा ब्रांड हो जिसने अपना कारोबार यहाँ शुरू न किया हो। भारत आज पूरी दुनिया को आकर्षित कर रहा है, आज सारी कंपनियों को यहाँ अपार संभावनाए नज़र आ रही है। भारत भी अपनी ओर से कोई कमी नहीं करना चाहता, और शायद यही वजह है की भारत ने रूपए का नया प्रतीक चिन्ह सामने लाया है, और इसके पेश करते ही प्रतीक चिन्ह इस्तेमाल करने वाले देशो में भारत पांचवे नंबर पर आ गया। और अब भारत की यह कोशिश है कि ये चिन्ह पूरे विश्व में भारतीय मुद्रा लिखते वक़्त प्रयोग में लाया जाए। इसके लिए कोशिश जारी है और अगले ६ महीनो में भारत में पूरे तरीके से इसे अपना लिया जायेगा और अगले दो वर्षो में पूरा विश्व इसका इस्तमाल करने लगेगा।

नए प्रतीक पर गौर फ़रमाया जाये तो ये पता चलता है कि ये चिन्ह अपने अन्दर नए भारत कि नयी सोच लिए हूए है। इसमें आपको भारत क़ी महान संस्कृति और नयी सोच का पता चलता है, नया चिन्ह असल में देवनागरी और रोमन का समागम है। आईटी शेत्र में पहले ही परचम लहरा चुके भारत अब कंप्यूटर कीबोर्ड पर इसे अंकित करना चाहता है, ताकि भविष्य में इसके इस्तेमाल में सरलता हो सके। अब तक सिर्फ अमेरिकी $ ही कीबोर्ड पर अपनी जगह पक्की कर पाया है, पर भारत को आशा है कि जल्द ही कीबोर्ड की शान बढ़ने और $ का साथ निभाने हमारा प्रतीक चिन्ह प्रचलन में आएगा। इसी से साबित होता है की भारत आज कितने आगे की सोच रहा है। खुद अमेरिका के राष्ट्रपति बरैक ओबामा ने अमेरिका से कहा है के वो दिन दूर नहीं जब हम भारत से हम पिछड़ जाए। उनके इस भाषण को जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे कई समृद्ध देशो ने अपनी भोहें चौव्डी करके मजाक में नहीं लिया है। हाल ही के दिनों में पेपर में एक खबर छापी थी की २०२० तक भारत अमेरिका को भी पीछे छोड़ सकता है। और अगर ऐसा होता है तो ये कोई आशार्य की बात नहीं।

एक वक़्त था जब हमारे बच्चे पढ़ -लिख कर विदेशो में नौकरी क लिए जाया करते थे, पर कहते है ना वक़्त बदलते देर नहीं लगती। और इस केस में तो ज्यादा देर भी नहीं लगी। आज हमारी युवा पीढ़ी ना केवेल उच्छ शिक्षा यहाँ भारत में पाती है, बल्कि बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों के यहाँ आ जाने से अब हमारी युवा पीढ़ी यहीं भारत में रह कर भारत को आगे बढ़ने में मदद करती है। उल्टा अब तो विदेशो से लोग भारत आकर पढाई वा नौकरी कर रहे है। भारत में मेडिकल फैसिलिटी भी दुसरे देशों के मुकाबले कम कर्चिला होने के कारन कई देशों से अब लोग अपना इलाज़ करने यहाँ आते है और पूर्णताँ ठीक होकर जाते है। विदेशियों के मन में जो पहले साँप, हाथी और राजाओं की छवि थी भारत की वो अब धूमिल हो गयी है और अब नए भारत न सिर्फ लोग जानते है बल्कि उसे सराहते भी है। विकासशील देशो में शुमार भारत, अपनी चाहत, जिद, मेहनत और इच्छाशक्ति के बलबूते पर विक्सित देश होने की राह की ओर अग्रसर है और रूपए के मूल्य को जानते हूए उसने जो प्रतीक चिन्ह दुनिया के सामने रखा है उसे हम विक्सित होने की ओर बढ़ाये कदम समझ सकते है। आजका आधुनिक भारत, सूरज की रौशनी के सामान पूरे विश्व में अपनी छठा बिखेर रहा है।