इस आर्टिकल की हेडलाइन पढ़ कर आप सोच रहे होंगे के एक तो अमेरिकेन और उसके ऊपर से चाय। ये कैसा मिश्रण है ? तो भैया ऐसा है कि अमेरिकेन और चाय ये दोनों यहाँ नए ज़माने के है। चाय जिसे भारत कि खोज कहा जाता है, आज अमेरिकियो की मेज़ की शोभा बढ़ा रही है। अमेरिका में अधिकतर पेय पधारतो में या तो कोकाकोला, पेप्सी जैसे पेय होते है या अगर तरोताज़ा होना हो तो कॉफ़ी। चाय तो अमेरिकी जानते भी नहीं थे। मगर वक़्त ने कुछ ऐसी करवट ली की आज अमेरिकी बड़े स्वाद के साथ चाय का लुत्फ उठाते है। वक़्त तो वक़्त है, जब करवट लेता है तो पूरी दुनिया में। ऐसा तो है नहीं की वक़्त ने सिर्फ अमेरिका में ही करवट लिया और हिंदुस्तान में नहीं लिया। और भारत में चाय के मामले तो माशअलाह ऐसी करवट ली की मत पूछो, चाय का सबसे ज्यादा सेवन करने वाले देश ने ही चाय को ज़हर बता कर देश निकाला जैसे स्तिथि पैदा कर दी। कुछ सरफिरो ने हिंदुस्तान में यह बात उड़ा दी की चाय में कैफीन नामक ज़हर होता है। तो मिया कोई इनसे ये सवाल तो पूछे के भैया पिछले १०० सालो से भी ज्यादा से जब भारतीयों को चाय पीते कुछ नही हुआ तो अब क्या होगा ? हो सकता है ये वैज्ञानिक हो जिन्होंने ये बात कही हो, मगर मै इन्हें सरफिरा इसलिए कह रहा हु क्योंकि इन्होने हिंदुस्तान से उसकी सुबह कुशनुमा और शाम को तरोताज़ा करने वाली चीज़ हिन्दुस्तानियों से दूर की। और इसका नतीजा ये हो गया के आज अमेरिकियो की कॉफ़ी हम बड़े चाव से पीते है और अमेरिकी हमारी चाय को चुस्की मार-मार के हमे चिढाते है। चुस्की से याद आया, चाय को पीते वक़्त चुस्की लेके पीने का अपना अलग ही मज़ा होता था। गरमा-गरम चाय साथ में डुबाने के लिए बिस्कुट या फिर चाय का स्वाद बढ़ाने के लिए भजिये। अब इन चीजों का मज़ा कहा ? अब साहब आप ही बताइये के इन चीजों का मज़ा भला कॉफ़ी के साथ संभव है क्या ?? नहीं ना !
जब हम चाय पीते थे तो कप हुआ करते थे, पर अब कॉफ़ी के लिए मग हुआ करते है और उसमे भी नयी टेकनोलोजी की बदौलत अपनी या अपनी फैमिली की फोटो मग में लगा सकते है। चाय के कप की तो बात ही अलग होती थी। छोटी सी कप, उसमे तरह-तरह के डिजाइन्स, वाह ! देख के ही दिल खुश हो जाए। हालांकि कुछ कर्मठ लोगो ने, लोगो को चाय की ओर आकर्षित करने के लिए चाय की कई वैराइटीस बाज़ार में उतारे। मसलन येल्लो टी, वाईट टी, हर्बल टी....इत्यादि। मगर ये सारी चाय कुछ खास लोगो तक ही सिमित रह गयी। आम लोग आज भी संपूर्ण भारतीय रेड टी पीकर ही खुश है जैसे "मै", एक आम आदमी, एक आम सा आर्टिकल "अमेरिकेन चाय " की चुसकिया लेकर लिखते हुए खुश हु.............................................................. :-)
अनुपम दान
जब हम चाय पीते थे तो कप हुआ करते थे, पर अब कॉफ़ी के लिए मग हुआ करते है और उसमे भी नयी टेकनोलोजी की बदौलत अपनी या अपनी फैमिली की फोटो मग में लगा सकते है। चाय के कप की तो बात ही अलग होती थी। छोटी सी कप, उसमे तरह-तरह के डिजाइन्स, वाह ! देख के ही दिल खुश हो जाए। हालांकि कुछ कर्मठ लोगो ने, लोगो को चाय की ओर आकर्षित करने के लिए चाय की कई वैराइटीस बाज़ार में उतारे। मसलन येल्लो टी, वाईट टी, हर्बल टी....इत्यादि। मगर ये सारी चाय कुछ खास लोगो तक ही सिमित रह गयी। आम लोग आज भी संपूर्ण भारतीय रेड टी पीकर ही खुश है जैसे "मै", एक आम आदमी, एक आम सा आर्टिकल "अमेरिकेन चाय " की चुसकिया लेकर लिखते हुए खुश हु.............................................................. :-)
अनुपम दान