पिछले दिनों हमने अपनी आज़ादी के ६२ साल पूरे कर लिए। हमें अपनी इस आज़ादी पर गर्व है और होना भी चाहिए, क्यूंकि आखिरकार इतनी लड़ाइयो और खून-खराबे के बाद हमे अंग्रेजी हुकूमत से आज़ादी जो मिली। लेकिन क्या सच में हम आज आज़ाद है ??? ये सोचने वाली बात है ! आज जहा देखो वहां भुकमरी, गरीबी, दंगे जैसी चीज़े देखी जा सकती है। मगर ये सारी चीज़े भी उतनी मायने नही रखती जितनी की आपसी प्रेम। आज हिंदुस्तान के प्राया हर राज्य में आरक्षण की आग लगी हूई है। दुनिया की सबसे बड़ी जनगणना आज भारत में हो रही है, ये अपने आप में एक विश्व रिकॉर्ड है। इस कारण आज भारत का जिक्र दुनिया के हर अखबार और टीवी चैन्नल्स में हो रहा है। मगर आज हर कोई जानता है की आज़ादी के बाद ये पहली बार होगा जब भारत की जनगणना जाति आधारित होगी। इस पर हर किसी का अपना तर्क है। एक तरफ जहा कांग्रेस गवर्नमेंट इसे जरुरी बताती है वही कुछ दिनों तक इसका विरोध करने वाली विपक्ष ने भी अब इसके लिए हरी झंडी दे दी है। इनका इरादा साफ़ है। जाति आधारित जनगणना करवा के आज ये पार्टिया अपना कल सुरक्षित करना चाहती है। ऐसा करके इन पार्टियों की छाती फूले नही समा रही। लेकिन क्या हम हिन्दुस्तानियों के लिए ये सचमुच गर्व का विषय है ?? मेरे हिसाब से तो बिलकुल भी नही। क्यूंकि हर शेत्र में आज इस कद्र आरक्षण दिया जा रहा है जैसे आरक्षण - आरक्षण ना होके बूंदी का लड्डू हो। और आने वाले समय में इसी आरक्षण की वजह से हम भारतीय आपस में लड़ने लगेंगे। उस समय हमे तोड़ने के लिए ना कोई आतंकवाद की जरुरत होगी और ना कोई न्क्स्सल्वाद की। क्यूंकि तब तक आरक्षणवाद ही इतना बढ़ जायेगा की ये बाकी सब चीजों को पीछे छोड़ जायेगा। और खुदा न करे शायद एक बार फिर भारत का बटवारा हो जाए। एक वो बटवारा था जिसने हमसे हमारे ही भाइयो को अलग कर दिया, उसी के जक्म आज तक भरे नही है और अगर इस जातिवाद ने भी हमला बोल दिया तो हिंदुस्तान का पतन निशित है। आज हिंदुस्तान में कमर तोड़ महंगाई है, लेकिन इसे कम करने का ध्यान किसी भी नेता को नही आता । आये दिन पेट्रोल - डीज़ल के दाम बढा दिए जाते है। और अब तो इन्हें सरकारी नियंत्रण से भी बाहर कर दिया है। इसका मतलब अब तेल कंपनियों की मनमानी तय है। मगर हमारे परम पूज्य, परम आदरणीय नेताओ को इन सबसे क्या मतलब ??? उनके लिए तो सब सरकारी कोटे से मुफ्त है। आज हमारे कृषि मंत्री को मण्डी का ताज़ा हाल पूछेंगे तो वो भी ना बता पाए, बतायंगे भी कैसे ? क्यूंकि उनका आधा समय तो क्रिकेट में चला जाता है। आखिर क्यों नेताओ को कई-कई विभाग में काम करने की आज़ादी दी गयी है ? क्या इस पर रोक नही लगनी चाहिए ? लेकिन इन प्रश्नों का आई .पी .एल के सामने कहाँ कोई औकात ?? सच तो ये है की आज भी हम स्वतंत्र होते हुए सवतंत्र नही है। आज भी भारत में ऑनर किलिंग जैसी घटनाये भारत को शर्मसार कर रही है। दो प्यार करने वाले एक नही हो सकते, कारण सिर्फ एक - धर्म, जाति। क्या यही हमारी पहचान है ?? क्या इतना काफी नही की हम भारतीय है ??? और क्या ये भी काफी नही की हम मनुष्य है ??? शायद ये काफी नही..इसलिए तो आज पंचायत उटपटांग गोष्णा कर देती है, इसलिए तो अपने धर्म में शादी ना करने पर माँ-बाप अपने ही जिगर के टुकडो को अपने से अलग कर देते है, मरवा देते है...आखिर ये सब क्यों ?????? सिर्फ झूठी शान की खातिर ! अरे क्या करोगे इस झूठी शान का जब तुम्हारे बुढापे का सहारा ही तुमसे दूर हो जाएगा ?? मैं तो सलाम करता हु ऐसे माँ-बाप को जो अपने बच्चो की पसंद को अपना लेते है। मैं सलाम करता हूँ उनको जो जातिवाद में विश्वास नही करते व् इसका पुरजोर विरोध करते हैं। आज देश के युवाओ को जरुरत है इन सभी चीजों के खिलाफ एक जुट होने की। तभी शायद हम एक स्वछ भारत की नीवं रख सकते हैं।
हमे सही मायने में स्वतंत्र होने के लिए आज किसी गांधी, नेहरु, बोस जैसे कर्मठ नेता चाहिए जो की अपनी जेबों की परवाह किये बगर राष्ट्र हित में काम करे और हिन्दुस्तान को हकीकत में भूक,बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई और सबसे जरुरी जातिवाद से स्वतंत्र करवाए। तो आइये हम इस ६२ व़ी आज़ादी में ये प्रण लेवें की हम भारत को सच में एक स्वतंत्र देश बनाएंगे।
जय हिंद - जय भारत !
अनुपम दान...
हमे सही मायने में स्वतंत्र होने के लिए आज किसी गांधी, नेहरु, बोस जैसे कर्मठ नेता चाहिए जो की अपनी जेबों की परवाह किये बगर राष्ट्र हित में काम करे और हिन्दुस्तान को हकीकत में भूक,बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई और सबसे जरुरी जातिवाद से स्वतंत्र करवाए। तो आइये हम इस ६२ व़ी आज़ादी में ये प्रण लेवें की हम भारत को सच में एक स्वतंत्र देश बनाएंगे।
जय हिंद - जय भारत !
अनुपम दान...